Movie ReviewBox Office CollectionTrue Story Movies

“ओपनहाइमर” ने जनता के बीच मचाया कोलाहल, हर कोई बना नोलन और फिल्म का दीवाना…

जिस फिल्म का काफी समय से लोग इंतजार कर रहे थे क्रिस्टोफर नोलन डायरेक्टेड फिल्म “ओपनहाईमर” सभी सिनेमाघरों में आ चुकी है। फिल्म की कहानी बताने से पहले आप सभी को ओपनहाइमर कौन थे उनके बारे में अवगत करवाते हैं।
ओपनहाइमर एक विनाशकारी इतिहास…..
ओपनहाइमर का पूरा नाम है ” जूलियस रॉबर्ट ओपहाईमर वो शख्स हैं जिन्होंने दुनिया को एक भयानक ताकत दी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान न्यू मैक्सिको में लॉस एलामोस लेबोरेटरी के डायरेक्टर के रूप में ओपेनहाइमर ने ‘मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ का नेतृत्व किया था इस प्रोजेक्ट का असली मकसद था नाजी जर्मनी से पहले परमाणु बम बनाना।परमाणु युग की शुरुआत 16 जुलाई 1945 को हुई थी. इस दिन पहले परमाणु बम का परीक्षण लॉस एलामोस से लगभग 340 किमी दक्षिण में किया गया था, जिसे ‘ट्रिनिटी टेस्ट’ के रूप में जाना जाता है। इस परमाणु बम परीक्षण के बाद एक महीने से भी कम समय में अमेरिका ने दो जापानी शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर 6 अगस्त और 9 अगस्त को दो परमाणु बम गिराए जिससे विनाशकारी तबाही हुई, इस अटैक में लगभग 2 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। परमाणु बम का असर आज भी इन शहरों के लोगों पर शारीरिक और मानसिक रूप से दिखता है इस बमबारी के बाद द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था। इस घटना के बाद तो दुनिया में हर किसी को ताकतवर देश बनने के लिए परमाणु हथियारों की जरूरत महसूस हुई और इसी ने परमाणु हथियारों की होड़ को शुरू किया, वहीं अपने बनाए परमाणु बम की क्षमता और विनाश को देखने के बाद ओपेनहाइमर परेशान हो गए थे क्योंकि उनसे जाने अंजाने एक बड़ा पाप हुआ था आपको बता दें एक समय पर रॉबर्ट ओपेनहाइमर परमाणु हथियारों की रेस के खिलाफ सबसे मजबूत आवाजों में से एक बन गए थे।
फिल्म की कहानी क्या कहती है …
बायोग्राफी ड्रामा ओपनहाइमर फिल्म अमेरिकी साइंटिस्ट रॉबर्ट ओपनहाइमर के जीवन की दास्तान है इससे उनकी जिंदगी को गहराई से जानने का मौका मिलता है। ये फिल्म दुनिया के पहले परमाणु परीक्षण ट्रिनिटी कोड जिसका नेतृत्व खुद ओपनहाइमर ने किया था तो यह फिल्म परीक्षण से पहले और बाद की घटनाओं पर आधारित है। फिल्म को इंट्रेस्टिंग बनाए रखने के लिए नोलन को की फिल्म के निर्देशक हैं ओपनहाइमर में तीन प्रमुख घटनाओं को एक साथ जोड़ कर दिखाया है पहली घटना जहां संयुक्त राज्य परमाणु ऊर्जा आयोग ओपनहाइमर के भूतकाल को घसीटा जाता है और गलत तरीके से सामने रखा गया। दूसरी घटना लुइस स्ट्रास जो राजनीतिक महाशक्ति बने और ओपनहाइमर के साथ अपनी पार्टनरशिप निभाई।
तीसरी घटना ओपनहाइमर का फिजिक्स के प्रति पैशन और उनकी निजी जिंदगी में आई महिलाओं के साथ जुड़ी प्रेम कहानियों से सम्बन्धित है और साथ ही साथ कैसे ओपनहाइमर के नेतृत्व में परमाणु बम बना और नियति में यह परमाणु जापान और नागासाकी के निर्दोष लोगों को झेलना पड़ा।


नोलन ने इतने कठिन विषय को लोगों तक कैसे पहुंचाया…


फिल्म की इतनी कसीदे पढ़े जा रहे हैं तो फिल्म मेज कुछ बात होगी ही की कॉमन जनता तक ऐसे जटिल विषय को इतनी आसानी से समझ गई।शुरू से अंत तक फिल्म को दिलचस्प बनाए रखना कोई आसान कार्य नहीं होता। जैसे फिल्म को लिखा गया है और प्रेजेंट किया है वो पता चल पा रहा है की ये क्रिस्टोफर नोलन का ही तरीका है। एक इंसान का पागलपन अपने काम को लेकर और फिर उसी काम की वजह से अंदर हो रहे पछतावे की गहमागहमी है। फिल्म की अच्छी बात ये है की ये फिल्म तीन घंटों में सिर्फ परमाणु बम के परिक्षण को ही नहीं बल्कि उसके आगे पीछे चल रहे द्वंद, इमोशंस को भी दर्शाती है। वैसे इस फिल्म को देखने के लिए थोड़ा अमेरिकन हिस्ट्री की तरफ आपको हल्का फुल्का ज्ञान लेने की जरूरत पड़ेगी और ऐसी ऐतिहासिक फिल्म देखने में आपका इंटरेस्ट होना बहुत जरूरी है इसलिए ये फिल्म चुनिंदा लोगों के लिए ही है।


अभिनय और निर्देशन कमाल बेमिसाल …


इस फिल्म में कोई भी किरदार जबरदस्ती नहीं दिख रहा है या जबरदस्ती का घुसाया हुआ नहीं है बल्कि नए किरदारों का फिल्म से जुड़ते चले जाना और ट्रांजिशन का पता नहीं चलना यही तो इस फिल्म की खासियत है। फिल्म में अहम भूमिका निभाने वाले सिलियन मर्फी ने ओपनहाइमर का किरदार निभाया जो की काबिले तारीफ है ऐसे किरदार के इमोशन और पैशन से पछतावे का मन में द्वंद चलना और उस द्वंद को दर्शकों के दिलों तक पहुंचाना यह हर किसी अभिनेता के बस की बात नहीं है। दूसरी तरफ रॉबर्ट डाउनी जूनियर ने प्रूफ किया की वो सिर्फ आयरन मैन ही नहीं बल्कि उससे भी कई गुना अच्छे अभिनेता है और अलग अलग रोल्स में वो कैसे फिट हो जाते हैं ये दिखाया गया है जो वाकई अच्छा है। इसके अलावा मैट डेमन, एमिली ब्लांट और फ्लोरेंस पुघ सभी कलाकारों ने बेहतरीन काम कर फिल्म पर चार चांद लगा दिए हैं। निर्देशन की बातें करें तो उनकी फिल्म का इंतजार बेसब्री से होता ही है क्योंकि उनकी फिल्म हर बार कुछ अलग कहानी या अलग तरीके से कहानी पेश होती है कि फिल्म को देखने का इंटरेस्ट हमेशा बना रहता है यही वजह है कि विश्व स्तर पर इस फिल्म को देखने का क्रेज कितना बढ़ रहा है। द डार्क नाइट राइजेस, इंसेप्शन, इंटरस्टेलर जैसी फिल्में बना चुके नोलन ने आज तक एक्शन और फिक्शन से दर्शकों का दिल जीता था लेकिन आज ओपनहाइमर की जीवन गाथा दिखा कर उन्होंने साबित कर दिया की को कितने बेहतरीन निर्देशक हैं। मजेदार बात तो ये है की नोलन ने फिल्म में CGI और VFX का कोई इस्तेमाल नहीं किया बल्कि असल में सीन शूट किए गए हैं।ये बात तो जाहिर है कि ऐसे गंभीर मुद्दों में पॉलिटिक्स पर बात हुई होगी लेकिन ‘ओपनहाइमर’ की राजनीति फिल्म की कहानी में इस तरह मिली हुई है की वो राजनीति भी अच्छी लग रही है जिस आदमी ने बम बनाया वो इतने अपराधबोध से भरा हुआ है कि वो नहीं चाहता कि आगे ऐसा कोई बम बने, जो दुनिया को किसी भी तरह से खतरे में डाले।


बॉक्सऑफिस के दूसरे दिन की ताबड़तोड़ कमाई…

सूत्रों के अनुसार पहले दिन इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 13.50 करोड़ रुपए की कमाई की थी वहीं अर्ली ट्रेड रिपोर्ट के अनुसार दूसरे दिन इस फिल्म ने लगभग 17 करोड़ रुपए की कमाई की। ये फिल्म पहले ही दिन बॉक्स ऑफिस पर छा गई और ओपनहाइमर ने मिशन इंपासिबल 7 और फास्ट एक्स का जबरदस्त रिकॉर्ड तोड़ दिया था। जिसके बाद ये फिल्म इस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हॉलीवुड फिल्म बन गई है। जल्द ही ये भी खबर आ ही जाएगी की इस फिल्म का ऑस्कर तो पक्का है। फिल्म को लगातार ऑडियंस का अच्छा खासा रिस्पांस मिल रहा है ये आगे बढ़ता रहेगा पूरी तरह से लग रहा है आगे भी इस फिल्म की कमाई अच्छी होने वाली है।

Share